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आज की अंधी भक्ती और आस्था की आड मे संत या शैतान
बरवाला के संतलोक आश्रम के पुरे घटना क्र्म का गहन अधयन कीया जाये तो इस की संधीगध गती विधिया बहुत कुछ साफ़ साफ़ दर्शाती हुई नजर आती हे / इस मे आने वाले पहुंचे हुवे लोगो के लिये वि०आई०पी० वयवस्था ओर इस को मिली बेरोक टोक उपलब्ध सुविधाये चिख चिख कर इसारा कर रही हे की इस के तार उपर तक जुडे हुवे हे / आस पास के ग्रामिणो का कहना हे की उन्हे अपने खेतो मे अशलिल सामग्री व गंदी सेक्स सम्बधिंत वस्तुवे पडी मिलती थी ओर आश्रम की चिमनी से काला और मुर्दे को जलाये जाने जेसा बदबुदार धुवा निकलता था व अन्दर 15 बेड का हस्पताल, अशलिल व गंदी सेक्स सम्बधिंत सामग्री, नसीली वस्तुवे, स्नान घरो व टाईलेटो मे लगे सीटिवी केमरे व नशीले पदार्थ, आपती जनक चिजो का मिलना यहा आये सर्धालुओ पर कडी नजर व उन्हे बंधी बना कर रखना, उनका इधर उधर प्रवेश वर्जीत, महिलाओ को निवस्त्र तहखानो मे रोकना,आये हुवे सर्धालुओ को मधहोश कर देने वाला चरणामर्त पिलाना कही इस ओर इशारा तो नही कर रहा की इस के तार मानव अंग तस्करी से ओर बलेक मेलिंग से तो नही जुडे हुवे हे साथ ही संत की कोठी की सुरक्षा वय्वस्था और इस मे बने आधुनिक कमरे भी तो इसी ओर इशारा कर रहे हे / पहले करोथा रोहतक मे ओर अब बरवाला हिसार मे सतलोक आश्रम इतना जल्दी ओर फ़ला फ़ुला उस के कारण आज समझ मे आ गये केसे इन्हे सभी सुविधाये मिल गई लोगो को चक्र लगाने के बाद काम नही होते ओर इन के न होने वाले काम हो गये आर्य प्रतिनिधी सभा ने बडी मुस्कील से इस की करोथा से जडे उखाडी थी ओर इस ने बरवाला हिसार मे रिपलान्टेशन ही नही किया साथ ही एक विशाल पेड की तरह जडे जमाली करोथा वाला केस कोर्ट मे चल रहा हे उस के बावजुद पिछली सरकार ने 2013 मे करोथा वाला आश्रम विवादो के चलते हुवे ही संत रामपाल को लोटाना चाहा लेकिन आर्य समाज वालो की सख्ताई के चल्ते ये मंशा सिरे नही चढ पाई ओर 2006 से 2014 तक का काफ़ी समय मिल गया इन्हे बरवाला मे अपना मजबुत किला बनाने मे ओर वो भी कानुन को ताक पर रखके देखा जाये तो इसे बनाने की शुरुवात से लेकर अब तोडने की नोबत आने की कार्यवाही तक इन लोगो ने एक भी कानुनी कार्यवाही को पुरा नही किया ओर सब कुछ इन्हे मुफ़त मे मिल्ता चला गया बेरोक टोक यहा तक की विदेशो से आने वाला समान भी ये सब देख कर ये लग रहा था की इस के पिछे कोई अद्रश ओर पावर फ़ुल ताकत काम कर रही हे ओर इसके निर्माण मे बाबा तो डमी हे सिक्के का दुशरा पहलु कुछ ओर ही हे ओर वो भी आज देनिक जागरण के माधयम से आर्य समाजी सामने ले ही आये ओर वो हे इस आश्रम के ट्रस्टियो मे पुर्व मुख्यमंत्री जी भुपेन्द्र हुडा जी की धर्म पत्नी आशा हुडा जी का नाम तो सुविधाओ युक्त किले के निर्माण मे रोक लगाने की हिमाक्त कोन कर सक्ता था भला नही मिलने वाली सुविधाये तो अपने आप बिना रुकावट के दुर होती चली गई ओर देखते ही देखते ये आश्रम एक अभेद दुर्ग का रुप लेता चला गया इस के प्रेहरियो का भी इंतजाम भी हो गया ओर उन के हथियारो का भी ओर जनता तो कच्ची मट्टी के घडे की तरह आस्था मे अंधी हे उसे तो हमेशा से ही अपने सवार्थ सिधी के लिये इस्तेमाल किया जाता रहा हे ओर ये ही करोथा रोह्तक मे ओर अब बरवाला हिसार मे भी हुवा हे
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