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हिंदुस्तान हर हिंदुस्तानी का हे और किसी भी नेता या शिर्ष लोगो की पैतृक धरोहर नहीं / अपने निजी सवार्थ व फायदे के लिए कुछ भी बोलने व किसी को कोई हक़ दिलवाने से पहले इस बात को इन लोगो को नजर अंदाज नहीं किया जाना चहिये और सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए तो बिलकुल नहीं / आज कल नेताओ ने इसे अपनी निजी धरोहर समझते हुवे गाजर मूली या स्वादिस्ट पकवान की सरेणी मे पहुँचा दिया हे और हर कोई इसे अपने रिस्तेदारो अपने निकट सम्बन्धियो या अपने चहेतो को परोसने की तैयारियो में ही नजर आता हे इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान पर सियासत कयो / नियम अनुसार यह सम्मान कला साहित्य विज्ञानं और उत्क्रिस्ट जन सेवा के लिए दिया जाता हे मगर इस के साथ ये विडंबना भी हे की इसे दिलवाने के लिए जन प्रतिनिधियो की सुफारिस को भी सर्वोपरि लिया जाता हे और इस पुरस्कार के लिए भेजी गई सुफारिसो और भेजने वालो की सूची को देख कर यही नजर आता हे की यह सर्वोच पुरस्कार कुछ लोगो के लिए ही आरक्षित हे या इन लोगो की ही धरोहर मात्र हे / अगर इस रास्ट्रीय पुरस्कार को भी देस के जनप्रतिनिधियों की तरह ही जनता की राय जान कर दिया जाये तो कभी भी इस की छवि धूमिल नहीं होगी साथ ही इस के सच्चे हक़दार भी सामने नजर आ जायेंगे हर जगह सुफारिसो का चलन भी देस से खतम हो जायेगा भारत रत्न जेसे सरोपरी सर्वोच्च नागरिक सम्मान को आज की ओछी व सवार्थी राजनीती और लोभ लालच से दूर रखा जा सकेगा और इस की गरिमा भी बरकरार रहेगी /
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