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नारी नाम हे सक्ति का उपहास का नहीं

कुछ मुदे जनहित के
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हम सभी मानते हे की नारी सक्ति का दूसरा रूप हे ये एक ऐसा पौधा हे जो सव्य धुप बारिस तुफानो का सामना करके भी दुसरो को छाया परदान करता हे / नारी का जन्म एक बेटी के रूप में होता हे और वो बेटी बन कर पुरे घर को प्यार के सूत्र में पिरोती हे और यही से उस की प्रेम भावनाओ की पारिक्षा की भी शरुवात होती हे / बेटी के बाद वो बहन बन कर अपने बहन भाईयो पर प्यार और सन्हे की बौछार करती हे अपने भाइयो के लिए मगल कामनाये करती हे बरत व उपवास रखती हे / बालिक होने पर इसे इस सब के बदले मे अपने घर को तयागने की सजा के रूप मे किसी अनजान घर में जाकर उस घर को सजाने वंस बढ़ाने और घर घरग्रस्ती चलाने के लिए विवाह के बंधन में बंधना पड़ता हे / यहा पर वो अपने पती की लम्बी उम्र के लिये बरत रखती हे और पुरे परिवार के सुख दुख में समर्पित रहती हे अर्थार्त नारी नाम हे सस्कारो का समर्पण भाव का और सक्ति का भारत में हम नारी सशक्तिकरण कि बाते करते हुवे नहीं थकते और चारो और इसी का बोल बाला हे और इसी के तहत हमारे मौसम विभाग के विज्ञानिकों भी पीछे नहीं रहे और उन्होंने इसी कड़ी के तहत मसहूर महिलाओ के नाम खतरनाक तोफोनो को दे दिए हे और अब ये कटरीना, लैला, नीलम, आलिया आदि नामो से पह्चाने जायेगे / लेकिन अगर इसे सही अर्थो में देखा जाये तो क्या ये सही हे कयोकि गार्मिन व शहरी छेत्रो में शरारती तत्वो द्वारा महिलाओ पर छिंटा कसी के फिल्मो ने पहले ही बहुत से नाम उपलब्ध करवा रखे थे और अब मौसम विभाग ने तो सिधा तुफानो का नाम देकर ऊन को छूट देते हुवे इसी कड़ी में और नाम मुहिया करवा दिए हे / हम मानते हे की नारी को सक्ति का दूसरा रूप माना जाता हे और सामाजिक सरोकारो में प्रकर्ति ही नारी हे और तूफान प्रकर्ति से जुड़ा हुवा हे / लेकिन मौसम विभाग के विज्ञानिकों ये भी देखना चहिये की प्रकर्ति किसी मसहूर महिला के नाम से लिया गया नाम नहीं हे और ना ही नया हे / मौसम विभाग को नारी की भावनाओ का सम्मान करते हुवे इस बारे में गभीरता से सोच विचार करना चहिये और तुरंत इन नामो की सूची को हटा कर और नाम देने चहिये /

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